Song of Solomon 6
1 ‘ओ परम सुन्दरी, तेरा प्रियतम कहाँ चला गया? तेरा प्रियतम किस दिशा में गया? बता, जिससे हम तेरे साथ उसको ढूंढ़ें।’
2 ‘मेरा प्रियतम अपने उद्यानों में अपनी भेड़-बकरियाँ चराने के लिए सोसन पुष्प चुनने के लिए अपने उद्यान में गया है, वह बलसान की क्यारियों में गया है।
3 मैं अपने प्रियतम की हूं, और वह मेरा है, जो सोसन पुष्प के मैदान में अपनी भेड़-बकरियाँ चराता है।’
4 ‘ओ मेरी प्रियतमा, तू तिर्सा नगरी की तरह सुन्दर, यरूशलेम के सदृश रूपवती है। पताका फहराती हुई सेना के समान तू प्रेम में आक्रमणकारी है।
5 तू मेरी ओर से अपनी आंखें फेर ले, क्योंकि मैं उनसे घबराता हूं। तेरे केश गिलआद प्रदेश की ढाल से नीचे उतर रही बकरियों के झुण्ड के सदृश लगते हैं।
6 तेरे दांत उन भेड़ों के समान हैं जो नहाकर पानी से बाहर आई हैं, जिनके जुड़वा बच्चे हैं। उनमें से किसी का जोड़ा नहीं मरा है।
7 तेरे गाल नकाब के पीछे अनार की फांक के सदृश हैं।
8 हरम में चाहे साठ रानियाँ और अस्सी उप-पत्नियाँ हों, तथा अगणित कन्याएँ,
9 तोभी मेरी कपोती, मेरी सर्वांग सुन्दरी, तू अद्वितीय है। तू अपनी मां की दुलारी, अपनी जननी की निष्कलंक कन्या है। सभी कन्याओं ने, रानियों और उप-पत्नियों ने भी तुझे देखकर धन्य कहा; उन्होंने तेरे रूप की प्रशंसा की:
10 “यह उषा के सदृश दिखनेवाली कन्या कौन है? यह मानो दूज का चन्द्रमा है, सूर्य की तरह आलोकमयी है। पताका फहराती हुई सेना के सदृश प्रेम में आक्रमण करनेवाली यह कौन है?” ’
11 ‘मैं घाटी में फूल देखने के उद्देश्य से, यह देखने के लिए कि अंगूर-लताएँ फूली हैं कि नहीं, अनारों के फूल खिले हैं कि नहीं, मैं अखरोट उद्यान में गई।
12 मैं संभल भी न पायी थी, कि मेरी कल्पना ने मुझे अपने राजकुमार के रथ पर चढ़ा दिया।’
13 ‘ओ सुलेमानिन! लौट आ, लौट आ, ताकि हम तुझे निहारें। लौट आ, लौट आ!’ [वधू] ‘तुम सुलेमानिन को क्यों निहारना चाहती हो? क्या मैं दो दलों के बीच नाचनेवाली लड़की हूं?’